Chipko Movement | Sainik School Coaching

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Chapko Movement | Sainik School Coaching Posted by Priya on 2024-11-13 02:13:55 | Last Updated by Priya on 2024-12-12 17:40:15

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चिपको आन्दोलन (Chipko Movemnet )

चिपको आंदोलन पर्यावरण से संबंधित है यह गौरा देवी ने चलाया था। 

चिपको आंदोलन एक पर्यावरण-रक्षा का आन्दोलन था। 

यह भारत के उत्तराखण्ड राज्य (तब उत्तर प्रदेश का भाग) में किसानो ने अंगू के वृक्षों की कटाई का विरोध करने के लिए किया था। वे राज्य के वन विभाग के ठेकेदारों द्वारा वनों की कटाई का विरोध कर रहे थे और उन पर अपना परम्परागत अधिकार जता रहे थे।

यह आन्दोलन तत्कालीन उत्तर प्रदेश के चमोली जिले में 1973 में प्रारम्भ हुआ

एक दशक के अन्दर यह पूरे उत्तराखण्ड क्षेत्र में फैल गया था।

चिपको आन्दोलन की एक मुख्य बात थी कि इसमें स्त्रियों ने भारी संख्या में भाग लिया था। इस.आंदोलन की शुरुवात 1973में भारत के प्रसिद्ध सुन्दरलाल बहुगुणा, कामरेड गोविन्द सिंह रावत, चण्डीप्रसाद भट्ट तथा श्रीमती गौरादेवी के नेत्रत्व मे हुई थी। 

यह भी कहा जाता है कि कामरेड गोविन्द सिंह रावत ही चिपको आन्दोलन के व्यावहारिक पक्ष थे, जब चिपको की मार व्यापक प्रतिबंधों के रूप में स्वयं चिपको की जन्मस्थली की घाटी पर पड़ी तब कामरेड गोविन्द सिंह रावत ने झपटो-छीनो आन्दोलन को दिशा प्रदान की। चिपको आंदोलन वनों का अव्यावहारिक कटान रोकने और वनों पर आश्रित लोगों के वनाधिकारों की रक्षा का आंदोलन था रेणी में 2400 से अधिक पेड़ों को काटा जाना था, इसलिए इस पर वन विभाग और ठेकेदार जान लडाने को तैयार बैठे थे जिसे गौरा देवी जी के नेतृत्व में रेणी गांव की 27 महिलाओं ने प्राणों की बाजी लगाकर असफल कर दिया था।

By Sainik Institute Lucknow Sainik School | Military School | RIMC Coaching

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